व्हाट्स योर स्टेट्स.....

तकनीकी समस्या का हल तकनीक से ही सम्भव है,सो मैंने उन्हें राय दी कि अगले बार से स्टेटस अपडेट करते समय वो गु्रप एस एम एस का प्रयोग करके सभी को कमेंट करने के लिए सूचित कर दिया करें। ऐसा लगा कि मानो मैने उन्हें लाल कपड़ा दिखा दिया हो।कहने लगे कि सम्मान मांग कर नही कमाया जाता।इससे अच्छा तो वो मरना यानि एकाउंट डिलीट करना पसंद करेंगे।उनके जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए जब मैंने उनके धुर विरोधी तिवारी जी के स्टे्टस अपडेट की तारीफ की तो वो बिलबिला उठे।उनकी मानें तो तिवारी जी स्चयं के द्वारा ही बनायी हुई अनगिनत फेक आई डीज् से अपने स्टे्टस पर कमेंट करते रहते हैं।दूबे जी का तो यह भी मानना है कि वो दिन दूर नहीं जब कमेंट्स लिखना ‘पेड सर्विस‘ हो जाए।
इंटरनेट क्रांति के चलते अभिव्यक्ति का जबरदस्त माध्यम बनकर उभरा ब्लागिंग,अब सिकुड़कर माइक्रोब्लागिंग में बदल गया है।चंद लफ्जों में जमाने भर की बात कह देना,एक आर्ट बन गया है।गौर से देखा जाए तो ये स्टे्टस अपडेट्स अपनी बुद्धिजीविता,ज्ञान,दंभ,हैसियत आदि को दिखाने का एक ज़रिया बनकर उभरीं हैं।सोशल नेटवर्किंग के इस हथियार को कोई विवादों को जन्म देने के लिए प्रयोग कर रहा है((आईपीएल विवाद की शुरुआत ललित मोदी ने ट्व्टिर पर ही की थी)तो कोईअपने विरूद्व प्रचलित अफवाहों का खंडन करने के लिए (अमिताभ ने कई मुद्दों पर सफाई अपने ब्लाग के जरिए ही दी है)अपनों से ही बेगाने हो चले उनके छोटे भाई अमर सिंह भी अपने दिल का दर्द ब्लाग की ज़बानी ही व्यक्त करते हैं।फिर वो सचिन जैसे क्रिकेट खिलाड़ी हों या नरेन्द्र मोदी और नीतिश कुमार जैसे राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी,शाहरूख जैसा बालीवुड का बादशाह हो या विजय माल्या जैसा उद्योगपति,कोई भी इसके मोह से अछूता नहीं।
फीडबैक के बिना कम्यूनीकेशन अधूरा है।शायद यही वजह है कि विचारों पर सहमति असहमति को जानने से लेकर शादी में पहने जाने वाली ड्रेस तक पर आम राय इन ब्लाग्स पर मांगी जा रही है।सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ आवाज उठाने का काम भी कर रहे हैं,ये ब्लाग और स्टेटस अपडेट्स।निरूपमा पाठक हत्याकांड के बाद बने अनेक ब्लाग्स,फोरम और लोगों के स्टेटस अपडेट इसके गवाह हैं।जब किसी धर्मगुरू ने कहा कि दुनिया में आने वाले प्राकृतिक आपदाओं की वजह महिलाओं के छोटे कपड़े पहनना है,तो सोशल साइट पर शुरू हुआ ‘बूब क्वेक’ जैसा अभियान सारी दुनिया के स्त्रियो के विरोघ का स्वर बना।एक शाम जब अचानक से दुनिया भर की महिलाओं के स्टेटस अपडेट में,रेड,ब्लू,ब्लैक आदि रंग लिखा दिखाई दिया तो पता चला कि यह ब्रेस्ट कैंसर के अवेयरनेस हेतु गुपचुप तरीके से चलाया जा रहा ब्रा कलर कैंपेन था।रूढ़ियों को तोड़ती और दुनिया को जोड़ती,,अभिव्यक्ति और आज़ादी का अगुआ बन चुके हैं,ये ब्लाग्स और स्टे्टस अपडेट्स।
कुछ दिन पहले सुना कि किसी ने बीसियों साल पहले खो चुके अपने परिवार को फेसबुक के जरिए ढं़ूढ निकाला। किसी को बहुत ही रेयर मिलने ब्लड गु्रप का खून,एक स्टे्टस अपडेट के ज़रिए बड़ी ही आसानी से उपलब्घ हो गया।ंअब तो सुना है कि लिख कर ब्लागिंग करने के दिन गए,‘बबली’ के जरिए अब बोल के ब्लागिंग होगी।आने वाले समय में हो सकता है कि सोच के भी ब्लागिंग करना सम्भव हो जाए।पर असल बात तो यह है कि इस सोशल नेटवर्किंग,ब्लागिंग और माइक्रोब्लागिंग ने बहुत कुछ बदला है और आने वाले समय में,और भी बहुत कुछ इनके ज़रिए बदलेगा,यह मानने से कोई इंकार नहीं कर सकता।
२३ जून को i-next में प्रकाशित.http://inext.co.in/epaper/inextDefault.aspx?edate=6/23/2010&editioncode=1&pageno=12#
एक क्रांति है यह!! नये युग का सूत्रपात!
आपको ब्लाग का नाम मुझे बहुत अच्छा लगा, बधाई
ohh dude,your write up is really impressive.i mean the way u present it,n the special tadka of HUMOUR.its phenomenal.m very happy that u r frm lKo univ, n my senior as well as a media profssional.
Keep it up
with regard,
Ratnendra K Pandey
AJK MCRC,JMI
ranu4790@gmail.com