अफवाह गरम है....

इस बार शुरुआत एक लघु कथा से..आदिदास और कालिदास दो भाई थे.जहाँ कालिदास बचपन में मूर्ख थे(जैसा कि हम सब जानते हैं) वहीँ आदिदास बचपन से ही चतुर प्रवृति का था.कालिदास जहाँ अपने आई. क्यू. लेबल की वजह से अध्यन अध्यापन से दूर रहे,वहीँ आदिदास पढाई लिखाई छोड़कर व्यापार आदि करने का मन बनाने लगा.समय बीतने पर,जहाँ वयस्क होने के बाद,कालिदास का झुकाव अध्यन और साहित्य सृजन की तरफ हो गया,वही आदिदास ने अपने व्यापार को फैलाने के उद्देश्य से 'जूतों' के निर्माण की एक कंपनी "आदिदास" डाली.व्यापार चल निकला और कालांतर में इसका नाम बदलकर 'आडीडास' हो गया.वर्तमान में कितने ही देशी और विदेशी खिलाडी इसके प्रोडक्ट को इनडोर्स करते हैं.

अरे नहीं,कृपया शांत रहे.उपरोक्त सारी कहानी काल्पनिक हैं.साहित्य प्रेमी बंधुओं,आपसे भी विनम्र क्षमा,आपका दिल दुखाने का जरा सा भी इरादा नही था.उपर लिखी कहानी मात्र यह बताने के लिए थी कि अगर अफवाह भी सही तरीके से उडाई जाए तो किस हद तक सही लगने लगती है.मान लीजिये,किसी न्यूज़ चैनल ने इसी विषय पर एक घंटे कि बिना सर पैर की स्टोरी चला दी होती तो शायद कितने ही लोग इस कहानी को सही मान बैठते.जी हाँ,कुछ यही हाल आजकल के खबरिया और मनोरंजन चैनल्स का है.आप घंटे भर की 'सो कॉल्ड' स्पेशल रिपोर्ट पूरी देख डालें,अंत में आप खुद को ठगा हुआ महसूस करते हुए यही पाएंगे की सारी खबर अफवाहों पर आधारित हैं.खबरिया चैनलों की दलील यह है कि वो तो सिर्फ जनता को आगाह करना चाहते हैं पर जनता के साथ क्या होता है इसका एक एक्साम्पल देता हूँ.याद है जब यह अफवाह उडी थी कि लार्ज हैलोजन कोलाईडर मशीन के शुरू होते ही दुनिया खत्म हो जायेगी तो किसी युवा ने इस डर के मारे आत्महत्या कर ली थी.

मेरे सीनियर आलोक जी बताते हैं कि इन चैनल्स को वर्तमान में टी आर पी की लडाई में सिर्फ कसाब और तालिबान का ही सहारा है.सही भी है,पिछले साल भर में भले ही कई आतंकवादी घटनाओं को देश ने झेला है पर इन चैनलों की माने तो देश में जीने के लिए एक दिन भी सुरक्षित नही.पाकिस्तान सीमा पर थोडी गहमा गहमी बढती है तो इन चैनलों की दया से ऐसा लगता है कि मानो कल ही एटॉमिक वार छिड़ने वाला है.चलिए,सिर्फ खबरिया चैनलों को दोष नही देंगे.अफवाह तो ऐसी चीज है जो कहीं भी उडाई जा सकती है.सिर्फ आपकी उस अफवाह में लोगों की दिलचस्पी होनी चाहिए.अफवाह यह उड़ती है कि राखी सावंत शादी नही करेंगी तो परेशान मोहल्ले का पुत्तन हो जाता है.राजू और बिरजू में तो इस बात को लेकर लडाई हो गयी कि अपनी सगाई में सानिया मिर्सा ने असल में कितने मूल्य की अंगूठी पहनी थी.शायद सूचना क्रांति के द्वारा संपूर्ण विश्व को ग्लोबल विलेज बनाने की कल्पना यहाँ पर तो सही होते दिखाई देती है.


ऐसा नही कि अफवाहों से सिर्फ नुक्सान ही है.कभी कभी यह फैयदे के लिए भी उडाये जाते है.बीते समय की अभिनेत्री वैजयंतीमाला ने एक बार कहा था की संगम फिल्म के प्रोमोशन के लिए राजकपूर ने जानबूझकर अपने और उनके रोमांस की अफवाह उडाई थी जिसका उन्हें फैयदा भी मिला.हमारा शेयर बाज़ार भी अफवाहों के चलते कई बार ऊपर नीचे होता रहता है.याद है,जब वीरन्द्र सहवाग ने अपनी चमक नयी नयी बिखेनी शुरू की थी तो अफवाह उडी कि वो प्रतिदिन चार लीटर दूध का सेवन करते हैं जिसका खंडन उन्होंने बाद में खुद किया.अफवाहों का एक अलग पहलु भी है.येही अफवाह जब मोहल्ले की किसी शादी योग्य लड़की के लिए फैलती है तो उसकी शादी होना मुश्किल हो जाती है.कहते थे कि इराक के पास विनाशकारी हतियार हैं पर इराक के बर्बाद होने के बाद भी आज तक उन्हें ढूँढा न जा सका.आखिर में कहना सिर्फ इतना है कि अफवाहों के मज़े लीजिये पर उनको न खुद पर और ना ही समाज में हावी न होने दीजिये क्योंकि अफवाह सभी के लिए फैय्देमंद नही होते और न सबके लिए यह कहा जा सकता है कि 'बदनाम होंगे तो क्या नाम नही होगा.'