बूँद बूँद का सपना..

गर्मियों के आते ही दूबे जी का एकसूत्री कार्यक्रम है.अपने सो काल्ड बगिया के गिने चुने चार पौधों को पानी देते हुए पूरे घर के फर्शों को पानी से धुलना.भरसक कोशिश करता हूँ कि मैं उनके 'वैचारिक सुनामी' का शिकार ना बनू पर आमना सामना to हो ही जाता है,भई,पडोसी जो हैं.अटैक इस दी बेस्ट डीफेंस,सो मै उनके फर्श धुलाई कार्यक्रम को आड़े हाथ लेते हुए कहने लगा कि जब दुनिया २२ मार्च को विश्व जल दिवस मनाने के प्रति गंभीर है तो आप काहे यूं पानी की फिजूल खर्ची में तत्पर हैं. दूबे जी ऐसे बिफरे मानो उन्हें मैंने लाल कपडा दिखा दिया हो.कहने लगे कि जब जूबी डूबी गाने में करीना आरटीफीसीयल बारिश में भीगते दिखती हैं तब तो हम युवा चटखारे लेकर देखते हैं और पानी के फिजूलखर्ची के बारे में नहीं सोचते.मैंने उन्हें समझाया कि फ़िल्मी कल्पना बारिश और पानी के बिना अधूरी है.कहने लगे कि तेल लेने गयी ऐसी कल्पना.पूरी उम्र बीत गयी फिल्मों में यह देखते देखते कि बरसाती रातों में अक्सर भीगी भागी हेरोइने आसरा लेने नायक का दरवाजा खटखटाती हैं.न जाने कितने सावन भादो बीत गए.पर घर के चौखट पर सीवर चोकिंग के फलस्वरूप इकठ्ठा कचरे के अलावा किसी और ने दस्तक नहीं दी.

बात को घुमाते हुए मैंने उन्हें बताया कि इस साल २०१० वर्ल्ड वाटर डे पर एक विश्व्यापी एवायरनेस कार्यक्रम के तहत हजारो वालेंटीयरस,टॉयलेट के लिए एक सांकेतिक क्यू का निर्माण करके लोगों का ध्यान आकर्षित करेंगे.सुलगे हुए दूबे जी के अनुसार इस तरह के टॉयलेट क्यू का बनना तो हमारे देश में हर सुबह का आम नज़ारा है.इससे कौन सा पानी के प्रति एवायरनेस पैदा हो जायेगा.दुनिया की नज़र पांड़े जी के अहाते में लगे दर्ज़नो यूकीलिप्टस पेड़ों पर नहीं जाते जो प्रतिदिन अपने से दुगने व्यक्तियों का पानी धरती से सोखते रहते हैं.बात तो उनकी सही थी पर सार्वजिक परिचर्चा में निजी खुन्नसों को दूर रखना दूबे जी को कौन सम्झाए.मैंने उन्हें समझाया की संसार में अनेको ऐसे स्थान हैं जहाँ टॉयलेट जैसे मूलभूत सुबिधाओं का भी टोटा है.ऐसे में यह क्यू इवेंट मूलभूत जरूरतों के लिए आम इंसान के पहुँच का प्रतीक है.यह उन 2.5 billion लोगों के लिए आवाज उठाने की कोशिश है जिनकी साफ़ पेयजल तक पहुँच ही संभव नहीं है.

वैसे भी हम उस देश के वासी हैं जहाँ एक ओर तो गंगा के पानी को अमृत का दर्ज़ा दिया जाता है वहीँ दूसरी ओर कुम्भ जैसे आयोजनों में फूल,गजरे,अगरबत्ती,आदि से गंगा को प्रदूषित करने के अलावा लोग सुबह सुबह चुपके से तट पर ही दैनिक क्रियाओं से भी बाज नहीं आते.हम इसलिए भी ख़ास हैं क्योंकि हम बाथ टब में नहाते,खुले टैप पर ब्रुश करते,गाड़ियों को धोते रोजाना लाखों लीटर पानी वेस्ट करते हैं और जरूरत पड़ने पर पानी की बोतल खरीदने से लेकर हजारों रुपए के वाटर सैनीटेशन भी करते हैं.एक आंकड़े के अनुसार,पानी जनित रोगों से विश्व में हर वर्ष २२ लाख लोगों की मौत हो जाती है। शायद इसी वजह से इस साल वर्ल्ड वाटर डे की थीम है-clean water for a healthy world. जहाँ तक भारत की बात है,करीब 15 लाख बच्चों की प्रतिवर्ष तो सिर्फ डायरिया के कारण मृत्यु हो जाती है।वैसे,एक आंकड़ा यह भी है कि भारत जल की गुणवत्ता के मामले में 122 देशों में से 120वें स्थान पर आता है।

प्यासे को पानी पिलाकर पुण्य कमाने वाले देश में आज पानी के लिए हत्याएं हो रही हैं.याद आता है वो बचपन जब स्कूल जाते समय आज की तरह वाटर बोतल ले जाने की कभी जरूरत नहीं पड़ी.स्कूल के पीछे कुएं पर लगा हैंडपंप हम सबकी प्यास बुझाने के लिए काफी था.वो अनगिनत तालाब अब सुख चुके हैं जिनका किनारा कभी हमारा प्ले ग्राउंड हुआ करता था.हैंडपंप के पानी से भरे मिटटी के मटके ने कब रूप बदल कर कैंडल वाले फिल्टर में बदल गया पता ही नहीं चला.शायद अब वो समय आ गया है कि जब हम पानी कि कीमत को समझें वरना वो दिन दूर नहीं जब नहाना,धोना,सुखाना,भीगना,भिगाना,जैसे शब्द सिर्फ डिक्शनरी में ही रह जायें और अफ़सोस में निकला आखों के पानी की भी कीमत लगने लगे.
(22 मार्च को i-next में प्रकाशित)link-http://www.inext.co.in/epaper/inextDefault.aspx?edate=3/22/2010&editioncode=1&pageno=12
4 Responses
  1. Unknown Says:

    hello abhishek ji..world water day par duniya ko apka ek anmol tohfa..meri taraf se dhero badhaeyaan..apka lekh padkar mahtvporna jankari prapt hue..laga k pani vakai kitna important hai."jal he jivan hai"jaise quotations keval kitabo or posters me he semit rah gaye hai..par ab vakai jarurat hai ki hum iske bare me gambheerta se soche..aur ek naye suruvaat karen..thoda thoda pani bachakar..vo kahte hai na "boond boond se sagar bharta" aur ab to samaj ki soch b badal rahe hai..pahle jaha hamari filmo ki actresses holi k rango me sarabor dikhti the..vahi aaj jam kar gullal aur abeer ka prayog hota hai..to es suruvat ke liye aaj world water day ke din se achcha mauka aur kya ho sakta hai..


  2. badhiya lekhen ; "aankho k pani ki bhi kimat lagegi..." gud one


  3. Mukul Says:

    बहूत खूब वैसे तो आप अच्छा लिखते ही हैं लेकिन ये दुबे जी का तड़का जायका और बढ़ा देता है


  4. hey really very nice...